कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्तान ने एक और
विडियो जारी किया है, जिसमें जाधव पाकिस्तान के प्रशासन का धन्यवाद
कर रहे हैं और भारतीय राजनयिक की आलोचना कर रहे हैं। ऐसा कैसे संभव है कि कुलभूषण
जाधव जैसे व्यापारी जिसे पाकिस्तान ने मौत की सजा सुना दी हो वह उनकी आवभगत की
तारीफ करे। ऐसा ही विडियो पाकिस्तान पहले भी जारी कर चुका है, जिसमें
कुलभूषण अपने को भारतीय नौसेना का कमांडर बता रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने
विडियो जारी किये जाने की इस घटना को सामान्य बात बताया है। उनके अनुसार पाकिस्तान
से इससे ज्यादा की उम्मीद नहीं की जा सकती। उसने दबाव बनाकर कुलभूषण से ऐसा करवाया
होगा।
भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के
लिए पाकिस्तान लंबे समय से अपने यहां आतंकियों को पनाह और ट्रेनिंग देता आ रहा है।
आतंकवाद का जो बीज पाकिस्तान ने सालों पहले बोया अब वह उसी पर भारी पड़ रहा है।
आतंकवाद की इस दोधारी तलवार ने पाकिस्तान को बुरी तरह से खोखला करना शुरू कर दिया
है। पाकिस्तान अब अपने देश में फैल रहे आतंकवाद के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराने
की कोशिश कर रहा है। यह अपने आप में एक बेबुनियाद बात है। कुलभूषण जाधव का मामला
भी इसी कोशिश का एक हिस्सा है, जिसमें पाकिस्तान अपनी गलतियों को
छुपाने के लिए भारत पर पाकिस्तान को अस्थिर करने का आरोप लगा रहा है।
ऐसा लंबे समय से कहा जाता है कि पाकिस्तान को
वहां की लोकतांत्रिक सरकार नहीं बल्कि अल्लाह, आर्मी और
अमेरिका चलाते हैं। अपने आपको लगातार प्रांसगिक बनाए रखने के लिए आर्मी और वहां की
खुफिया एजेंसी आईएसआई ने एक स्थायी दुश्मन खोज रखा है जिसका नाम है: भारत। आर्मी
और आईएसआई देश की कट्टरपंथी ताकतों को इस्लाम के नाम पर अपने साथ लाते हैं और उनके
द्वारा आतंकी संगठन बनाकर भारत को अस्थिर करने की साजिश रचते हैं लेकिन पिछले कुछ
सालों में इन इस्लामिक संगठनों को अरब देशों से भी एक खास तरह का इस्लाम फैलाने के
नाम पर पैसा मिला और ये काफी ताककवर हो गए। अब हालत यह हो गई है कि इन्होंने भी
पाकिस्तान पर राज करने के मंसूबे पाल लिए हैं। इन्होंने अब अपने राजनीतिक संगठन भी
बना लिए हैं और आने वाले समय में चुनाव में हिस्सा लेने का ऐलान कर दिया है। कुछ
दिन पहले ही जमात-उत-दावा आतंकी संगठन के मुखिया हाफिज सईद ने भी अपनी पार्टी के
चुनाव लड़ने की घोषणा की है। ये आतंकी संगठन अपने आप में इतने ताकतवर हो गए हैं कि
जब-तब अपनी ताकत का एहसास पाकिस्तान की सेना, आईएसआई और सरकार
को कराते रहते हैं। कट्टरपंथी इस्लाम की जड़ें पाकिस्तान में काफी नीचे तक पहुंच
गईं हैं, जिसकी वजह से इन संगठनों को काफी जन-समर्थन भी मिल जाता है। अब इन
सभी समस्याओं के लिए पाकिस्तान कुलभूषण जाधव जैसे सामान्य लोगों को गिरफ्तार करके
भारत को जिम्मेदार ठहराने का प्रयास करता है।
यह सिर्फ कुलभूषण जाधव मामले की बात नहीं है,
इससे
पहले सरबजीत सिंह के मामले में हमने देखा कि कैसे उन्हें पाकिस्तान ने पहले
प्रताड़ित किया और फिर मार दिया। इसी तरह के मामलों में कई भारतीयों को
अफगानिस्तान, ईरान और भारत की सीमा से अगवा किया गया है और
उन्हें भारतीय खुफिया एजेंसी का एजेंट करार दे दिया गया और उन पर आतंकी गतिविधियों
में शामिल होने का आरोप लगाकर मौत की सजा सुना दी गई है। इनमें से किसी भी मामले
की चार्जशीट पेश नहीं हुई और सारी कार्यवाही सैन्य अदालत में होती है जबकि इन
लोगों के भारतीय सेना में होने के कोई प्रमाण पाकिस्तान के पास नहीं होते। हालांकि
यह अतंरराष्ट्रीय समझौते का उल्लंघन है, जिसके तहत किसी आम नागरिक पर सैन्य
अदालत में केस नहीं चला सकते। यहां पर बताते चलें कि कुलभूषण जाधव भी अब भारतीय
नौसेना में काम नहीं करते और अपने व्यापार के सिलसिले में ईरान गये थे, जहां
ईरान सीमा पर उनको पकड़ा गया लेकिन उनपर भी पाकिस्तान की सैन्य अदालत में मामला
चला और उन्हें मौत की सजा सुना दी गई। भारतीय नागरिक पर इस तरह मुकदमा चलने पर
पाकिस्तान में भारत के उच्चायोग ने 13 बार चार्जशीट मांगी लेकिन अभी तक
उन्हें चार्जशीट की कॉपी उपलब्ध नहीं कराई गई है।
वैसे वर्तमान की केंद्र सरकार ने सक्रियता
दिखाई और कुलभूषण जाधव के मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय तक ले गई और मई 2017
में कोर्ट ने पाकिस्तान से मौत की सजा रोककर रखने को कहा। अतंरराष्ट्रीय न्यायालय
में सुनवाई अभी आगे भी होनी है इसलिए अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए पाकिस्तान ने
अपना मानवीय चेहरा दिखाने की नाकाम कोशिश की और 25 दिसंबर,
2017 को
कुलभूषण जाधव की पत्नी और मां को उनसे मिलने दिया लेकिन उस मुलाकात में पाकिस्तान
का असली चेहरा सामने आ गया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में बताया कि
कुलभूषण जाधव की मां और पत्नी को मंगलसूत्र उतारने के लिए बोला गया। जब दोनों
मिलने गईं तो विधवा की तरह लग रही थीं। उनसे जाधव ने पूछा, ‘बाबा ठीक हैं
ना।’
मुलाकात के बाद दोनों की कार को पाकिस्तान
विदेश विभाग के बाहर अचानक से रोक दिया गया, जिसके बाद
मीडिया ने उनकी बहुत बेइज्जती की। हालांकि, बताया गया था कि
कहीं भी मीडिया कवरेज नहीं होगा। उनसे पूछा, ‘आपके पति ने
हजारों बेगुनाह पाकिस्तानियों के खून से होली खेली। इस पर क्या कहेंगी? और
आपके क्या जज्बात हैं, कातिल बेटे से मिलने के बाद?’ इस
तरह का बर्ताव बस पाकिस्तान के अमानवीय चेहरे को सामने लाता है और उसकी नीयत बताता
है।
पहले भी पाकिस्तान एक भारतीय राजनयिक राजेश
मित्तल के मामले में ऐसा कर चुका है, जब उन्हें 1992 में पाकिस्तान
में अगवा कर लिया गया था और बड़े स्तर के राजनयिक प्रयासों के बाद छोड़ा गया था।
इसलिए भारत को एक नई राणनीति अपनाने की जरूरत है, जिसके तहत वह
पाकिस्तान को राजनयिक स्तर अलग-थलग कर दे, क्योंकि जाधव या किसी अन्य भारतीय को
इस तरह से फंसाने से एक शांतिप्रिय और जिम्मेदार देश के रूप में भारत की साख दांव
पर लगती है। पाकिस्तान इस तरह के मामलों से दुनिया को यह दिखाना चाहता है कि उस
देश में होने वाले आतंकी हमलों और साजिशों के पीछे भारत का हाथ है और वह
बलोचिस्तान में अस्थिरता पैदा कर रहा है। भारत को भी दुनिया को यह बताने की जरूरत
है कि कैसे पाकिस्तान ना सिर्फ कश्मीर में आतंकवाद फैला रहा है बल्कि बलोचिस्तान
और अन्य हिस्सों में भी मानवाधिकार हनन कर रहा है, जहां अब
अतंरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की जरूरत है।
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