दैनिक जागरण 23 अक्टूबर 2018 में प्रकाशित मेरा लेख:
पिछले दिनों लटियन्स दिल्ली के एक बड़े होटल में अमेरिकी दूतावास के एक अधिकारी से मुलाकात हुई और विजिटिंग कार्ड का आदान-प्रदान हुआ. उनका विजिटिंग कार्ड एक तरफ तो अंग्रेजी में था लेकिन दूसरी तरफ वही जानकारी हिंदी में भी थी. पहले इस तरह की मीटिंग में मिलने वाले विजिटिंग कार्ड अंग्रेजी भाषा में होते थे. ये ऐसा पहला अनुभव था और लगा कि महज संयोग होगा. लेकिन अगले एक-दो दिन में ही देखा कि मिरर नाऊ ( जो मूलतः अंग्रेजी न्यूज चैनल की श्रेणी में आता है) पर हिंदी में बहस हो रही है. उसी के बगल वाले रिपब्लिक न्यूज चैनल पर अरनब गोस्वामी और टाम्स नाऊ पर नविका कुमार हिंदी में बड़ी शान से लच्छेदार मुहावरे बोलते नजर आ रहे हैं. किसी अंग्रेजी चैनल पर देखा तो उनका हैशटैग हिंदी में था जो ज्यादा से ज्यादा लोगों को समझ आ सके जिससे उस हैशटैग पर अधिक से अधिक ट्वीट आ सकें. इन दिनों प्रिंट और वायर जैसे अंग्रेजी में लॉन्च हुए पोर्टल की अंग्रेजीदां रिपोर्टर्स हिंदी में वीडियो करते नजर आ रही हैं. ये सारी घटनाएं साफ इशारा कर रही थीं कि हिंदी सामाजिक पिरामिड के निचले तल से होती हुई नई ऊंचाइयां तय कर रही है.
फिर देखने में आया कि मामला न्यूज चैनल और पोर्टल तक सीमित नहीं है. दुनिया की सबसी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजॉन बड़े गौरव से टीवी पर बता रही है कि वेबसाइट पर जानकारी हिंदी में भी उपलब्ध है. नेटफ्लिक्स और अमेजॉन प्राइम पर दुनिया के अलग अलग हिस्सों में विभिन्न भाषाओं में बनी बेहतरीन बेहतरीन वेब सिरीज आपको हिंदी में एक क्लिक में मिल जाएगी. गूगल, फेसबुक सहित दूसरी बड़ी वेबसाइटें तो पहले से हिंदी में कामकाज शुरू कर चुकी थीं.
बड़ी बात तो तब हो गई जब देखा गया कि दुनिया की सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी हिंदी में कुछ कामकाज शुरू किया और ट्विटर पर हिंदी में सूचना देने का क्रम शुरू किया.